नवरात्रि वर्ष में 4 बार आते हैं। यदि आपने इनमें से किसी भी एक नवरात्रि में माँ दुर्गा के नाम से अखण्ड जोत जला ली तो समझ लें कि आप पर माता रानी की कृपा अवश्य होगी। लेकिन अखंड ज्योति जलाना बड़ा कठिन होता है, क्योंकि इसमें बहुत से नियमों का पालन करना पड़ता है। इन नियमों का पालन बहुत ज़रूरी होता है। अन्यथा आप जिस मनोकामना को पूर्ण करने के लिए अखंड ज्योति जलाने का व्रत ले रहे हैं वो पूर्ण नहीं होगी। आपको लाभ नहीं हो पायेगा ये तो निश्चित ही है, किन्तु यदि आप कोई नियम तोड़ कर, कोई अधिक बड़ी गलती कर बैठते हैं तो आपका नुकसान भी हो सकता है। इसलिए आप अखंड ज्योति का संकल्प सोच समझ कर ही लें एवं रहे हैं तो आपको कुछ नियमों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है।
ज्योति को मानें माँ का एक रूप
सबसे पहले मैं आपको ये बता दूँ कि नवरात्रि में जलाई गई अखंड ज्योति ये ज्योति सिर्फ एक ज्योति नहीं है। इसे आप माँ दुर्गा का ही एक स्वरुप समझें। इस ज्योति को पहले दिन प्रज्वलित करते समय ये भावना करें कि इस ज्योति के रूप में माँ स्वयं आपके घर में आ आकर विराजमान हो गई हैं। अब आपके ही परिवार का एक हिस्सा हैं।
अखंड ज्योति की कैसे करें सेवा?
जब आप अखंड ज्योति जलाते हैं, और इसे माँ अम्बे का ही एक रूप मान लेते हैं तो आपको माँ अम्बे के इस रूप को, अर्थात अखंड ज्योत को अपने ही परिवार का एक हिस्सा मानना चाहिए। आपको ज्योति की सेवा भी करनी होगी जैसे कि वो स्वयं आपके घर आई हों।
आपको शुद्धता और पवित्रता का तो ध्यान रखना ही है। साथ ही आपको माँ की सेवा भी करनी है। जब भी आप भोजन करेंगे, पहले आपको अखंड ज्योति को भोग लगवाना है, उन्हें भोजन करवाना है। फिर स्वयं भोजन करना है। इसलिए भोजन हमेशा सात्विक ही बनाएं। क्योंकि वो भोजन माता रानी ने भी करना है। जितना प्रेम, जितना स्नेह आप इस ज्योति को देंगे उठा ही प्रेम और स्नेह आपके जीवन में भी भर जायेगा।
शुद्धता और पवित्रता का रखें ध्यान
- सबसे पहले तो आपको पूरे घर में शुद्धता पवित्रता का ध्यान रखना है। पहले दिन घर को अच्छे से साफ़ कर लें। घर में झाड़ू और पोछा लगा लें। पोछा लगाने वाले पानी में थोड़ा सा गौमूत्र मिला लें।
- इसके पश्चात स्वयं स्नान करके पूरे घर में गंगा जल छिड़क लें।
- घर के मंदिर को भी अच्छे से साफ़ करके सजा लें। मंदिर में जिन भी देवी देवताओं की फोटो या मूर्तियां हैं उन्हें भी स्नान करवा कर साफ़ स्वच्छ कपडे पहना दें। सबको तिलक कर दें।
- ज्योति को गंदे हाथों से, जूठे हाथों से बिलकुल भी नहीं छूना।
अखंड ज्योति के लिए आसन बनाएं
आपको इस बात का ध्यान रखना है कि आपको अखंड ज्योति भूमि पर नहीं जलानी है। ज्योति एक लकड़ी की चौकी पर रख कर जलानी है। इस लकड़ी की पटरी या चौकी को पहले लाल कपडे से ढक कर उस पर उस पर अष्टदल बना कर उस पर जलानी है।
पहले दिन ज्योति शुभ मुहूर्त में जलाईयेगा
आपको इस ज्योति को जलाते समय और ज्योति को जलाने के बाद कुछ नियमों का बहुत ज़्यादा ध्यान रखना है।
सर्वप्रथम, ज्योति शुभ मुहूर्त में जलानी है। इसे कुछ यूँ समझें कि ये वास्तव में माँ दुर्गा का ही आपके घर में आगमन है। अभिजीत मुहूर्त, अमृत काल या ब्रह्म मुहूर्त इसके लिए शुभ माना जाता है।
बाल खुले रख कर ज्योति जलाने से होगा ये
यदि आप स्त्री हैं, और अखंड जोत जला रही हैं तो बाल खुले रख कर बिलकुल भी जोत न जलाएं। बाल बांधकर ज्योति जलानी है। साथ ही जब आप अपने घर के उस कमरे में जाएं जिसमें ज्योत जल रही है, तो हमेशा बाल बांधकर एवं सर ढककर जाएं। एक बात का आपको और ध्यान रखना है और वो ये कि जब आप किसी मंदिर में भी जाएं तब भी आपको खुले बालों के साथ नहीं जाना है। खुले बालों से शनि का दुष्प्रभाव पड़ता है।
ज्योति को पीठ न दिखाएं
माँ अम्बे की इस ज्योति को कभी भी अकेला नहीं छोड़ना है और न ही कभी पीठ दिखानी है। अगर बाहर निकल रहे हैं तो ज्योति की तरफ पीठ करके नहीं निकलना। अगर बैठे हैं तो ज्योति की तरफ पीठ करके नहीं बैठना। ये ठीक ऐसा ही है, जैसे आप एक अपनी छोटी सी कन्या को कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे। और न ही कभी उसकी तरफ कभी पीठ करके बैठेंगे। जितना प्यार आप उसे देंगे, उससे कहीं अधिक वो आपको प्यार देगी।
ज्योति में अक्षत और कपूर डालने से क्या होगा?
यदि आप ज्योति जलाते समय उसमें थोड़े से अक्षत और थोड़ा सा कपूर डाल लेंगे तो आपके जीवन की बहुत सी समस्याएं समाप्त हो सकती हैं। ज्योति में कपूर डालने से शुक्र गृह का शोधन भी हो जायेगा, और आपको ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी।
किस ओर रखें अखंड ज्योति
अब एक छोटी सी बात ज्योति को घर के मंदिर में किस तरफ रखना चाहिए? बीच में? या अपने दाई तरफ? ज्योति को दाई ओर तो रखना है लेकिन अपने दाईं तरफ नहीं रखना। आपको यह अखण्ड ज्योति माता रानी के दाईं तरफ रखनी है।
किस रूप में करें सेवा?
बहुत से लोगों के मन में ये प्रश्न आ सकता है कि अखंड ज्योति की सेवा किस रूप में करनी है, अर्थात माँ का कौन सा रूप मान कर करनी है। तो ये आप पर है। आपकी श्रद्धा है। आप अखंड ज्योति में माँ का कोई भी रूप मान कर उनकी सेवा कर सकते हैं।
जय माता दी। जय माता दी। जय माता दी। जय माता दी। जय माता दी। जय माता दी। जय माता दी। जय माता दी।